अखबारों
में फिर से क्रिकेट की खबरें
पढ़ने लगा हूं...।
फिर से मैच शुरू होने का इंतजार
रहने लगा है। फिर से इंडिया
के मैच वाले दिन अकर्मण्य की
तरह बिस्तर में रिमोट और मोबाइल
पकड़े लेटे रहता हूं। रिमोट
से स्टार के क्रिकेट चैनलों
की अदला-बदली और
मोबाईल से ट्विटर पर अपडेट।
थोड़ा सा
भी अनुमान नहीं था--
और अनुमान तो तब हो
जब आपको भरोसा हो--
कि भारत वर्ल्ड कप
की इतनी धमाकेदार शुरुआत
करेगा।
और मैं ही
क्यों क्रिकेट के किसी पंडित
ने ऐसा नहीं सोचा था..।
कम से कम मैने तो नहीं देखा
किसी चैनल पर किसी एक्सपर्ट
को यह कहते हुए कि भारत वर्ल्ड
कप के शुरुआती दो मैचों में
पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रिका
को इस बुरी तरह से रौंदेगा।
पाकिस्तान
के खिलाफ विश्वकप में भारत
ने जहां अपनी जीत के सिलसिले
को बरकरार रखा वहीं दक्षिण
अफ्रिका के खिलाफ विश्वकप
में हमेशा हारते रहने के धब्बे
को मिटाने में कामयाब रहा।
टीम इंडिया
के पर्फार्मेंस को आप इस बात
से जोड़ सकते हैं,
कि उसे ऑस्ट्रेलिया
में दो महीने रहने का फायदा
मिला। लेकिन ऐसा कहने वाले
टीम की हार होने की सूरत में
यह भी कह सकते थे कि ऑस्ट्रेलिया
में दो महीने तक टीम इंडिया
इतनी बुरी तरह से हारी कि उसका
मनोबल टूट चुका था।
विश्वकप
शुरू होने से तुरत पहले गावस्कर
ने कहा था कि टीम इंडिया थकी-थकी
सी लग रही है।
जरा सोचिए....
टीम इंडिया की हार
हुई होती तो इनका रिएक्शन क्या
हुआ होता...।
लेकिन
अचानक से सभी थके हुए योद्धा
सामने वाली टीम को रौंदने लगे
हैं..।
पंडितों को झुठलाने लगे हैं।
मैच देखना अच्छा लगने लगा है,
थैंक्यू टीम इंडिया!
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