अक्षत-मन AKSHATMANN
आ फिर रौद्र दिखा जा तू....
Thursday, April 9, 2015
Copy of The Letter Written By Ramalinga Raju To Satyam Board Members on Jan 7, 2009
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यह बाघ की सवारी करने के समान था। यह नहीं जानता था कि बिना बाघ का निवाला बने कैसे बाघ से उतरूँ"
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