मुज्फ्फरपुर में एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम का क़हर फिर से शुरु हो गया है...। इस महीने की शुरुआत से अब तक 24 बच्चों की मौत हो चुकी है जबकि कई बच्चे शहर के अलग-अलग अस्पताल में जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गुरुवार, जून छह को एक दिन में नौ बच्चों ने दम तोड़ा। इस सिन्ड्रोम से पीड़ित बच्चों का ईलाज स्थानीय एसकेएमसीएच और केजरीवाल अस्पताल में चल रहा है।
पिछले
कई वर्षों से यह सिन्ड्रोम
उत्तर बिहार में कहर बरपा रहा
है। कई घरों के चिराग बुझ
चुके हैं। या तो विशेषज्ञों
से समझने में भूल हो रही हो, या
फिर प्रशासनिक स्तर पर कमी हो, नतीज
सिर्फ यह है कि इसे नियंत्रित
करने के सारे उपाय असफल हो
चुके हैं।
इस
साल भी इन मामलों के सामने आने
के बाद से इसका पता लगाने के लिए
देश और विदेश के डॉक्टर मुजफ्फरपुर
पहुंचे हुए हैं। अमेरिका के
सीडीसी के डॉ जेम्स भी मुजफ्फरपुर
में है और इस बिमारी के कारणों
को पता करने का प्रयास कर रहे
हैं। दिल्ली से नेशनल सेन्टर
फॉर डिजीज कन्ट्रोल की टीम
भी मुजफ्फरपुर में कैम्प कर
रही है।
पिछले चार सालों में तीन सौ से अधिक बच्चे एइएस की वजह से असमय मौत के मुहं में समा चुके हैं।
2012 की तुलना में 2013 में मौत की संख्या और एइएस के शिकार बच्चों की संख्या में काफी कमी आई थी। लेकिन इस बार जिस तरह से अचानक पिछले कुछ दिनो में इसके मामले बढ़े हैं... वह एक खतरनाक हालात की ओर इशारा कर रहा है।
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पिछले चार सालों में तीन सौ से अधिक बच्चे एइएस की वजह से असमय मौत के मुहं में समा चुके हैं।
वर्ष...............................पीड़ित.................दम तोड़ने वाले बच्चों की संख्या
2010..............................72................................................27
2011..............................149..............................................55
2012...............................465............................................184
2013...............................172..............................................63
2012 की तुलना में 2013 में मौत की संख्या और एइएस के शिकार बच्चों की संख्या में काफी कमी आई थी। लेकिन इस बार जिस तरह से अचानक पिछले कुछ दिनो में इसके मामले बढ़े हैं... वह एक खतरनाक हालात की ओर इशारा कर रहा है।
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