Monday, October 11, 2010

अगर क़ीमत मुनासिब हो..........



विधायकों की खरीद-बिक्री की कहानी जब भी मैं समाचार पत्रों में पढ़ता हूं या फिर खबरिया चैनलों पर देखता हूं तो कई सवाल ज़हन में कौंधने लगता है....

क्या कभी पूरी सरकार खरीदी जा सकती है ? यह मुद्दा यहां इसलिए है क्योंकि कर्नाटक में कुछ ऐसा ही तमाशा चल रहा है।

सवाल यह है कि जब एक विधायक को खरीदा जा सकता है तो क्या सभी विधायकों को नहीं खरीदा जा सकता? चलिए आप कहेंगे की महान भारतवर्ष के सभी विधायक अभी बिकने के लिए उपलब्ध नहीं हैं। तो क्या आधे से एक अधिक नहीं खरीदे जा सकते? तो क्या हमारे पूंजीपतियों में अभी इतनी ताकत नहीं हो पाई है कि वे आधे से एक अधिक विधायक को खरीद लें?

और अगर उनमें यह ताकत अभी नहीं है तो क्या जरुरी है कि यह ताकत उनमें कल भी नहीं होगी? और अगर यह ताकत कल उनमें आ गई तो इस महान लोकतंत्र का क्या होगा?

और राज्य के बाद क्या संसद यानि की केन्द्र सरकार का भी ऐसा ही कुछ हस्र नहीं हो जाएगा? फिर लोकतंत्र का क्या होगा ? कौन इसे बचाने आएगा?