भारत
फिक्सड ब्रॉडबैंड पहुंचाने
के मामले में 125वें
स्थान पर है। एक सौ की आबादी
पर केवल 1.2 निर्धारित
ब्रॉडबैंड है। विश्व का औसत
प्रति सौ पर 9.4 का
है। विकासशील देशों में घरों
तक ब्रॉडबैंड की पहुंच के
मामले में भारत 75वें
स्थान पर है। देश के 13
प्रतिशत घरों में यह
सेवा है। वायरलैस ब्रॉडबैंड
में भी भारत का स्थान 113वां
है और 100 की आबादी
में ब्रॉडबैंड केवल 3.2 है।
''आईसीटी एक्सेस,
आईसीटी यूज तथा आईसीटी
स्किल'' मामले में
भारत का स्थान कुल 166 देशों
में 129वां है।
इंडोनेशिया (106), श्रीलंका
(116), सूडान (122), भूटान
(123) और केन्या (124)
के साथ भारत से ऊपर
है।
भारत 42
देशों के समूह में
ब्रॉड बैंड के मामले में काफी
कम है।
कई हितसमूहों
से विचार-विमर्श
के बाद ट्राई ने तेजी से ब्रॉडबैंड
देने के लिए निम्न सिफारिशें
दी हैं:
संस्थागत
बदलाव
1) डब्लयूपीसी
को वर्तमान दूरसंचार विभाग
से अलग करके स्वतंत्र संस्था
बनाना चाहिए या इसे संसद के
प्रति उत्तरदायी वैधानिक
संस्था के रूप बदलना चाहिए
या वर्तमान वैधानिक संस्था
को हस्तांतरित कर देना चाहिए।
2) राष्ट्रीय
परियोजना एनओएफएन के लिए
विभिन्न स्तरों पर निर्णय
लेना ऐसी परियोजना के लिए सही
नहीं है जिसे मिशन मोड में
लागू करना है।
स्पेक्ट्रम
1) स्पेक्ट्रम
बैंडों को वैश्विक बैंडों से
जोड़ना ताकि हस्तक्षेप रहित
अस्तित्व बना रहे। हमारे
एलएसए में स्पेक्ट्रम की
वर्तमान उपलब्धता अन्य
देशों की तुलना में 40 प्रतिशत
है। स्पष्ट रूप से वाणिज्यिक
दूरसंचार सेवाओं के लिए
अतिरिक्त स्पेक्ट्रम देने
की आवश्यकता है।
2) स्पेक्ट्रम
प्रबंधन के लिए स्पष्ट दिशा
तैयार करने की जरूरत है। इसमें
पत्येक एलएसए तथा पूरे देश
के लिए आवश्यकता और स्पेक्ट्रम
की उपलब्धता होनी चाहिए। यह
दिशा सार्वजनिक रूप से उपलबध
कराई जानी चाहिए ताकि पारदर्शिता
सुनिश्चित हो। सभी वाणिज्यिक
स्पेक्ट्रम के साथ साथ
सार्वजनिक उपक्रमों/सरकारी
संगठनों को आवंटित स्पेक्ट्रम
की ऑडिट स्वतंत्र एजेंसी से
करानी की जरूरत है।
राइट ऑफ
वे (आरओडब्ल्यू)
1) राज्य
और केंद्र सरकार के स्तर पर
आरओडब्ल्यू प्रस्तावों
की एकल खिड़की मंजूरी आवश्यक।
इस तरह की सभी मंजूरियां समयबद्ध
तरीके से दी जानी चाहिए ताकि
टीएसपी तथा अवसरंचना प्रदाता
परियोजना लागू करने में तेजी
से काम कर सकें। आरओडब्ल्यू
मंजूरी से इनकार का कारण लिखित
रूप से दिया जाना चाहिए।
एनओएफएन
1)केंद्र
राज्य सार्वजनिक-निजी
साझीदारी से परियोजना कार्यान्वयन
में राज्य सरकारों और निजी
क्षेत्र को शामिल किया जाना
चाहिए।
टावर
1)राष्ट्रीय
नेटवर्क का तेजी से विकास
सुनिश्चित करने के लिए टावर
लगाने के मामले में एकल खिड़की
समयबद्ध मंजूरी को प्रोत्साहन
दिया जाना चाहिए।
2)ईएमएफ
विकिरण तथा स्वास्थ्य पर
इसके प्रभाव के बारे में
उपभोक्ताओं को व्यापक रूप
से शिक्षित करना चाहिए।
फिकस्ड
लाइन बीबी
1)फिकस्ड
लाइन बीबी को प्रोत्साहित
करने के लिए फिकस्ड लाइन बीबी
से प्राप्त राजस्व पर लाइसेंस
फीस में 5 वर्ष की
छूट दी जानी चाहिए।
सीएटीवी
1)केबल
ऑपरेटरों को आईएसपी लाइसेंस
धारकों के रिसेलर के रूप में
काम करने की अनुमति दी जानी
चाहिए ताकि केबल ऑपरेटर बीबी
प्रदान करने के लिए अपने केबल
नेटवर्क का लाभ उठा सकें।
2) दो और
तीन स्तरीय शहरों में समयबद्ध
रूप से केबल सेवाओं का डिजटीकरण।
सेटेलाइट
1) सेटेलाइट
स्पेश डोमेन में लाइसेंसर,
नियामक, तथा
ऑपरेटर के काम अलग किये जाने
चाहिए ताकि मुक्त बाजार के
अंतर्राष्ट्रीय व्यवहारों
के अनुरूप कार्य हो सके। डीओएस
के साथ 2500-2690 मेगाहर्टज
बैंड में अतिरिक्त स्पेक्ट्रम
पर समन्वय आवश्यक।
भारत में
कंटेंट होस्टिंग
1)सरकार
को औद्योगिक पार्कों तथा विशेष
आर्थिक क्षेत्रों की तर्ज पर
डाटा सेंटर पार्क बनाने के
लिए स्थानीय तथा विदेशी
कंपनियों को भूमि तथा अन्य
सुविधाएं देकर प्रोत्साहित
करना चाहिए।
सार्वभौमिक
अंगीकरण
1)केंद्र
और राज्य सरकारों को ई-एजुकेशन,
ई-गवर्नेंस,
एम-हेल्थ,
एम-बैंकिंग
जैसी सेवाएं देकर मॉडल के रूप
में काम करना चाहिए।
2) ब्रॉड
बैंड सेवाएं देने के लिए स्कूल
आदर्श हैं। ग्रामीण एवं दूर-दराज
के सरकारी स्कूलों को ब्रॉड-बैंड
कनेक्टिीविटी के लिए यूएसओएस
से सब्सिडी दी जानी चाहिए।
3) सीपीई
(डेस्क्टॉप/लैपटॉप/टैब्स)
की कीमतें ब्रॉड बैंड
सेवाओं की राह में प्रमुख बाधा
है।