वैश्विक
सूचना-तकनीक जगत
में भारत का प्रतिनिधि इंफोसिस में जब
फांउंडर नारायण मूर्ति और तत्कालीन CEO
विशाल सिक्का के बीच
विवाद शुरू हुआ, तो
किसी ने नहीं सोचा था कि डायनेमिक
सिक्का को इतनी जल्दी अपना
पद छोड़ना पड़ेगा। बहरहाल,
सिक्का गए और छह महीने
के बाद कंपनी को एक नया CEO
महाराष्ट्र में बसे
गुजराती सलिल पारेख के रूप
में मिला।
सलिल पारेख
के CEO बनने से पहले
उनके और सिक्का के बारे में
एक मजेदार कहानी। जिस वक्त
सिक्का इंफोसिस में विवादों
में फंसे थे, और वे
समझ नहीं पा रहे थे कि इस हालात
से कैसे निकलें, उसी
वक्त, सलिल पारेख
भी अपनीं कंपनी, पेरिस
बेस्ड आईटी क्षैत्र की वैश्विक
कंपनी केपजेमिनी में संकट के
दौर से गुजर रहे थे।
पारेख
केपजेमिनी में वैश्विक सीईओ
पद पर नजर लगाए हुए थे। लेकिन
उन्हें पता लगा कि केपजेमिनी
में दो अधिकारियों को ज्वाइंट
ऑपरेटिंग ऑफिसर पद पर प्रोमोट
किया जा रहा था। इसके साथ ही
पारेख को लग गया कि ग्लोबल
सीईओ बनने का सपना पूरा नहीं
हो पाएगा। और फिर उन्होंने
केपजेमिनी से बाहर अपने लिए
संभावनाओं की तलाश शुरू की
दी।
यह भी एक
संयोग है कि 2014 में
पारेख को रेस में पीछे छोड़कर
सिक्का इंफोसिस के सीईओ बने
थे और विशाल सिक्का ने जब
इंफोसिस को छोड़ा तो वह पोस्ट
पारेख को ही मिला।
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