Tuesday, November 21, 2017

क्या हुआ था उस रात!!! (2)


इससे पहले हमलोग अनगिनत बार इस तरह के अभियानों में शामिल हुए थे। पिछले दस सालों में हम ईराक, अफगानिस्तान, और अफ्रिका के कई देशों में तैनात थे। हम उस मिशन का सदस्य भी थे जिसने 2009 में तीन सोमालियन समुद्री लुटेरों के चंगुल से कंटेनर शिप मेर्सक अलबामा के कैप्टन रिचर्ड फिलिप्स को छुड़ाया था।

मैं तो पाकिस्तान में भी रह चुका था। सामरिक दृष्टि से कहें तो आज की रात का यह अभियान सैकड़ों अन्य अभियानों से अलग नहीं था, लेकिन ऐतिहासिक तौर से कहें तो मुझे उम्मीद थी कि यह बहुत अलग होने जा रहा था।

जैसे ही मैने वो रस्सी पकड़ी, जिसे पकड़ हमें नीचे उतरना था, एक स्थिरता मेरे ऊपर हावी हो गई। हेलिकॉप्टर के दरवाजे से मैं उन लैंडमार्क्स की पहचान करने में जुट गया जिसकी तस्वीरें हफ्तों चली ट्रेनिंग के दौरान इलाके की सैटेलाइट तस्वीरों के अध्ययन के दौरान हमलोगों ने देखी थीं। मैं हेलिकॉप्टर से किसी सुरक्षा क्लिप के द्वारा बंधा नहीं था, इसलिए मेरी टीम का एक सदस्य वॉल्ट ने मेरी सुरक्षा के लिए अपने एक हाथ से मेरे जैकेट के पिछले हिस्से में लगी लूप को पकड़ रखा था। अब सब लोग मेरे पीछे दरवाजे के नजदीक जमा हो गए थे ताकि मेरे बाद वे भी एक-एक कर नीचे उतर सकें। दायीं ओर, मेरी टीम के सदस्य आसानी से दूसरे हेलिकॉप्टर चॉक टू को उसके लैंडिंग जोन में जाते देख सकते थे।

जैसे ही हम, दक्षिण-पूर्व दीवार से आगे बढ़े, हमारा हेलिकॉप्टर लैंडिंग के लिए पहले से तय जगह पर मंडराने लगा। हम तकरीबन तीस फीट ऊपर थे, और हम आसानी से कंपाउंड में सूखने के लिए फैले कपड़े देख सकते थे। ये कपड़े हेलिकॉप्टर के पंखों से निकली धूल से भर गए। नीचे की चीजें तेज हवा की वजह से उड़ने लगीं। आसपास के पशु-पक्षी सावधान हो गए।

गौर से नीचे देखने के बाद लगा कि हम अभी गेस्टहाउस के ऊपर थे। तभी हेलिकॉप्टर अचानक हिलने लगा, मुझे लगा जैसे पायलट को हेलिकॉप्टर को सही स्थिति में लाने में कुछ दिक्कतें आ रही थीं।

अब हम गेस्टहाउस की छत और कंपाउंड वॉल के बीच में पहुंच गए थे। तभी मैने देखा की हमारा चीफ रेडियो माइक्रोफोन पर पायलट को कुछ निर्देश दे रहा था। पायलट हेलिकॉप्टर को हवा में स्थिर करने की कोशिश कर रहा था। लेकिन हेलिकॉप्टर लगातार असामान्य रूप से हिल रहा था। यह बहुत तेज नहीं था लेकिन मैं यह आसानी से कह सकता हूं कि यह नियंत्रित नहीं था। पायलट इसे नियंत्रित करने की लगातार कोशिश कर रहा था। लेकिन कुछ गड़बड़ी थी। पायलट को इस तरह के अभियान में शामिल होने का लंबा अनुभव था और उसके लिए हेलिकॉप्टर को अपने लक्ष्य पर लाना वैसा ही था, जैसे एक कार को पार्क करना।
नीचे कंपाउंड में देखते हुए, मैं रस्सी नीचे फेंकने की सोचने लगा ताकि हम इस हेलिकॉप्टर से बाहर निकल सकें। मैं जानता था कि इसमें खतरा था लेकिन नीचे उतरना अनिवार्य था। मुझे रस्सी फेंकने के लिए साफ जगह चाहिए थी। लेकिन साफ जगह कहीं दिख नहीं रही थी। तभी रेडियो पर आवाज आई , "हम नीचे जा रहे हैं, हम नीचे जा रहे हैं”। इसका मतलब रस्सी के सहारे नीचे उतरने की हमारी योजना असफल हो गई थी।

अब हमलोग चक्कर लगाकर दक्षिण की ओर जा रहे थे, वहां हमें लैंड करना था और उसके बाद दीवार के बाहर से धावा बोलना था। लेकिन अंदर के लोगों को तैयार होने के लिए काफी समय मिल जाना था। मेरा दिल बैठने लगा।
जबतक हमने लैंडिंग की आवाज नहीं सुनी, सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से चल रहा था। हमने अपने रास्ते में आनेवाले पाकिस्तानी रडार और एंडी-एयरक्राफ्ट मिसाइल्स को चकमा दिया था और सही-सलामत यहां तक पहुंच गए थे। लेकिन अंदर पहुंचने की योजना खराब हो गई।

हमलोगों ने इसके बारे में पहले भी सोचा था, लेकिव वो प्लान बी थी। अगर हमारा लक्ष्य अंदर था, तो उसे सरप्राइज देना, मुख्य योजना थी, और अब यह हाथ से निकलते जा रहा था।
अपनी स्थिति को नियंत्रित करने के लिए जैसे ही हेलिकॉप्टर ने ऊपर उठने की कोशिश की यह खतरनाक तरीके से दायीं ओर मुड़ा, यह तकरीबन 90 डिग्री तक घुम गया। तभी मैने महसूस किया कि हेलिकॉप्टर का पिछला सिरा, बांयी ओर किसी चीज से टकरा गया था।

अचानाक हेलिकॉप्टर के झटका खाने से मैं अस्थिर हो गया और फिर बाहर गिरने से बचने के लिए पकड़ने के लिए कुछ सिरा तलाश करने लगा। मेरा शरीर फ्लोर से बाहर निकलने लगा और डर से मैं कांप उठा। मैं स्वयं को केबिन के अंदर रखने की भरसक कोशिश करता रहा लेकिन अन्य सभी लोग दरवाजे पर ही थे। मेरे अंदर जाने के लिए कोई जगह नहीं थी। तभी वॉल्ट की पकड़ मेरे शरीर पर और मजबूत हो गई। मैं पीछे की ओर झुका। वॉल्ट तकरीबन मेरे ऊपर पड़ा हुआ था ताकि वो मुझ अंदर रख सके।

हेलिकॉप्टर बांयी ओर झुक रहा था और, उसका पंखा गेस्ट हाउस से टकराने से बाल बाल बचा। मिशन से पहले हमलोग मजाक में कहा करते थे, कि हमारे हेलिकॉप्टर के क्रैश होने की संभावना ना के बराबर थी, क्योंकि हमलोग पहले ही बहुत सारे क्रैश झेल चुके थे। हम ये सोच रहे थे कि अगर कोई हेलिकॉप्टर क्रैश होता है तो यह चॉक टू होगा।

मिशन को यहां तक पहुंचाने के लिए हजारों लोगों ने अपना किमती समय लगाया था, लेकिन लक्ष्य के नजदीक पहुंच, हमारे जमीन पर कदम रखने से पहले ही मिशन ट्रैक से हटता लग रहा था।

मैंने अपने पैरों को कैबिन में और अंदर खीचने की कोशिश की। हेलिकॉप्टर अगर अपने किसी किनारे से जमीन से टकराता है तो यह पलट सकता था जिससे मेरे पैर फंस सकते थे।

अंदर की ओर स्वयं को खींचते हुए, मैने अपने पैरों को अपनी छाती से लगा रखा था। एक और स्नीपर ने दरवाजे से अपने पैर अंदर खींचने की कोशिश की, लेकिन कैबिन के दरवाजे में भीड़ की वजह से वो असफल रहा।

हमारे वश में कुछ नहीं था, हम बस यह उम्मीद कर रहे थे कि हैलिकॉप्टर जमीन से टकराने के बाद पलटे नहीं और उसके पैर उसमें ना फंसे। सबकुछ रुक सा गया था। मैंने क्रैश के विचार को अपने दिमाग से झटका। प्रत्येक सेकंड, हम सतह के नजदीक आ रहे थे। हेलिकॉप्टर के जमीन से टकराने से जो असर होनेवाला था उसे सोच मेरा पूरा शरीर चिंता से भर उठा था।


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