खोया-खोया लगता है
कुछ टूटा सा कुछ छूटा सा हर पल दिल में लगता है
क्यों फिर ऐसी हवा चली जब दिल उनको भूलने लगता है
क्या खोया और क्या पाया, ये गुत्थी सुलझ नहीं पायी
जब लगता कुछ पाया हूं तब खोया-खोया लगता है
पाने और खोने की कशमकश मे सब कुछ दूर खड़ा पाया
हाथ बढ़ाया पाने को, वो और दूर होता पाया
क्या लाया क्या ले जाओगे, सबसे यही सुना पाया
आस-पास मुड़ देखा तो सब उलट इसे करता पाया
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