हे श्याम सुंदर हे मुरलीधर
केहन बिगड़ल तकदीर देलउं
केहन बिगड़ल तकदीर देलउं
हम बालापन के मित्र छलहुं
खेललहुं-कुदलहुं संगे-संगे
हे श्याम सुंदर हे मुरलीधर
केहन बिगड़ल तकदीर देलहुं
हम बालापन के मित्र छलहुं
पढ़लहुं लिखलहुं संगे संगे
अपने त्रिलोकीनाथ भेलहुं
हमरा बखरा में भिख देलहुं
मनमोहक रचना ....
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