Sunday, August 7, 2011

हे श्याम सुंदर हे मुरलीधर

हे श्याम सुंदर हे मुरलीधर
केहन बिगड़ल तकदीर देलउं

हम बालापन के मित्र छलहुं
खेललहुं-कुदलहुं संगे-संगे

हे श्याम सुंदर हे मुरलीधर
केहन बिगड़ल तकदीर देलहुं

हम बालापन के मित्र छलहुं
पढ़लहुं लिखलहुं संगे संगे

अपने त्रिलोकीनाथ भेलहुं
हमरा बखरा में भिख देलहुं

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