Friday, November 13, 2015

समझदारी की ठेकेदारी बंद कर भाई...

 

नीतीश ने बिहार को कहां से कहां पहुंचाया है, यह बिहार को जानने वाला कोई भी व्यक्ति भली-भांति जानता है।  भाजपा से मिले फ्रि-हैंड की बदौलत नीतीश गुंडा पर लगाम लगाते हुए आधारभूंत ढ़ांचों के विकास के कार्यों में लगे रहे।

भाजपा के समर्थक, कार्यकर्ता और यहां तक की नेता भी नीतीश सरकार के दौरान हुए कार्यों को नकारते नहीं। निजी बातचीत में सभी नीतीश के परफॉर्मेंश की तारीफ ही करते रहे हैं।

समस्या तब शुरू हुई जब नीतीश का झुकाव 'कांग्रेसी धर्मनिर्पेक्षतावाद' की ओर बढ़ने लगा। उनके सलाहकार उन्हें बीजेपी और विशेषकर मोदी के खिलाफ भड़काने लगे। नतीजा सबके सामने था। अच्छी खासी चलती सरकार की स्थिति डंवाडोल हो गई।

बिहार दस वर्षों बाद पहली बार राजनैतिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा था। नीतीश के अंत की काहनियां गढ़ी जाने लगी।  लोकसभा चुनाव ने नीतीश को मानो अर्स से फर्स पर ला पटका।

इस तमाम मामलों के बीच  ध्यान देने वाली बात यह थी कि नीतीश पर किसी वर्ग से यह आरोप नहीं लगा कि उन्होंने विकास नहीं किया।

और इसी का नतीजा था कि जब 2015 के प्रचार अभियान के दौरान एंटी इनकंबेंसी की कोई चर्चा नहीं हुई। राजनैतिक पंडितों के बीच यह जुमला बहुत लोकप्रिय रहा है।

सरकार बन गई। मतों का ध्रुवीकरण जैसा कि दावा किया जा रहा है बिल्कुल जातिवाद के आधार पर हुआ। फरवॉर्ड ने बीजेपी को वोट किया और पिछड़ी जातियों ने नीतीश-लालू गठबंधन को।

जो लोग नीतीश लालू को पसंद नहीं करते वे इस नतीजों को कुछ इस तरह से प्रचारित कर रहे हैं जैसे कि बिहार में भूकंप आ गया हो। उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि सरकार का नेतृत्व नीतीश के हाथ में रहेगा जिनकी छवि एक कार्य करनेवाले नेता की है।

सोशल मीडिया में बिहार का बनाया जा रहा मजाक
उन्हें विरोध करना है सो करना है। इस चक्कर में नुकसान वो बिहार का कर रहे हैं। कोई बिहार को कोस रहा है कोई नीतीश को वोट देने वालों को कोस रहा है।
 
मेरा उनसे सीधा आग्रह है की समझदारी की ठेकेदारी बंद करो। जनता की चूनी हुई सरकार है यह। तुम्हारी नहीं चलेगी इसका मतलब यह नहीं की जनादेश पर सवाल उठाओ। 
(जूतों की जगह पैरों मे ही होती है.. उसे सर पर कोई नहीं पहनता  सिवाय बिहार के) यह मैसेज ट्विटर पर पोस्ट किया है किसी Sanjay_Vis ने। इस तरह के कई मैजेस ट्विटर पर फैलाए जा रहे हैं।)




और भाइयों सुनो, बिहार की बागडोर तुम्हीं लोगों के पास 90 तक रही है। इतिहास के पन्नों को खंगालो, बाप-दादा से पूछो कि कितना रायता उन दिनों तुम लोगों ने फैलाया। इस बात को समझो, सरकार को काम करने दो। मीडिया में अपने बिहार को बदनाम नहीं करो। मोदी भक्ति के चक्कर में बिहार विद्रोही मत बन जाओ।  

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